प्रेम पर काव्य खंड

प्रेम के बारे में जहाँ

यह कहा जाता हो कि प्रेम में तो आम व्यक्ति भी कवि-शाइर हो जाता है, वहाँ प्रेम का सर्वप्रमुख काव्य-विषय होना अत्यंत नैसर्गिक है। सात सौ से अधिक काव्य-अभिव्यक्तियों का यह व्यापक और विशिष्ट चयन प्रेम के इर्द-गिर्द इतराती कविताओं से किया गया है। इनमें प्रेम के विविध पक्षों को पढ़ा-परखा जा सकता है।

भँवरगीत

नंददास

पंचवटी

मैथिलीशरण गुप्त

उद्धव-शतक

जगन्नाथदास रत्नाकर

राउलवेल

रोडा कवि

वसंत वर्णन

अब्दुल रहमान

शरद वर्णन

अब्दुल रहमान

ग्रीष्म वर्णन

अब्दुल रहमान

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere