भूख पर दोहे
भूख भोजन की इच्छा प्रकट
करता शारीरिक वेग है। सामाजिक संदर्भों में यह एक विद्रूपता है जो व्याप्त गहरी आर्थिक असमानता की सूचना देती है। प्रस्तुत चयन में भूख के विभिन्न संदर्भों का उपयोग करती कविताओं का संकलन किया गया है।
चंच संवारी जिनि प्रभू, चूंन देइगो आंनि।
सुंदर तूं विश्वास गहि, छांडि आपनी बांनि॥
सुंदर प्रभुजी देत हैं, पाहन मैं पहुंचाइ।
तूं अब क्यौं भूखौ रहै, काहे कौं बिललाइ॥
हाथ पांव हरि कृत्य कौं, जीभ जपान कौं नाम।
सुन्दर ये तुम सौं लगै, पेट दियौ किंहीं काम॥
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere