Font by Mehr Nastaliq Web

अकाल पर कविताएँ

अकाल वह स्थिति है जब

प्राकृतिक आपदा, फ़सल-विफलता, युद्ध अथवा अराजकता के परिदृश्य में अनाज, पशुओं के चारे एवं अन्य आवश्यक खाद्य-सामग्रियों का अभाव उत्पन्न होता है। अस्तित्व पर तत्कालीन संकट और भविष्य पर इसके कुल जमा प्रभाव के रूप में यह मानवीय संवेदना का विषय है जो काव्य में अभिव्यक्ति पाता रहा है।

ऊँट

कृष्ण कल्पित

सूखा

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

अकाल

केशव तिवारी

भूखा

निकोलाइ नेक्रासोव

पुस्तकों के उपयोग

के. सच्चिदानंदन

अघोरी अकाल

कन्हैयालाल सेठिया

अकाल

अनिल जनविजय

अकाल

पारस अरोड़ा

ये जहाँ भी होंगे

केशव तिवारी

अकाल का पहला दिन

राजकमल चौधरी

अकाल

मीठेश निर्मोही

अकाल

नंद चतुर्वेदी

aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair

jis ke hote hue hote the zamāne mere