आश्वस्त पर उद्धरण

मैं जितना बूढ़ा होता जा रहा हूँ, उतना ही आश्वस्त होता जा रहा हूँ कि मैं परम आवश्यक नहीं हूँ।

मेरा पति दृढ़ निश्चय के महल में निवास करता है। वहीं रहता है ब्रज-लाड़ला! जो वहाँ उसके पास जाता है उसे उसके दर्शन होते हैं। जो भूले हुए हैं, वे उसकी खोज में दूसरे सदनों में भटकते रहते हैं। किंतु भगवान उन्हें एक भी जगह नहीं मिलता।