पक्षी पर उद्धरण
चिड़ियों का होना बहुत
सी चीज़ों का होना और बचा रहना है। इस चयन में चिड़ियों और पक्षियों पर लिखी गई कविताएँ संकलित हैं।

देशप्रेम है क्या? प्रेम ही तो है। इस प्रेम का आकलन क्या है? सारा देश अर्थात् मनुष्य, पशु, पक्षी, नदी, नाले, वन, पर्वत सहित सारी भूमि। यह साहचर्यगत प्रेम है।

अपना दिमाग़ खोलो। तुम क़ैदी नहीं हो। तुम सपनों के लिए आसमान खोजने वाले, उड़ान भरने वाले पक्षी हो।

पिंजरा पक्षी की तलाश में निकला।

मनुष्य और पक्षी में एकरूपता नहीं होती है, इसे छोटा बच्चा भी जानता है। उससे अगर मनुष्य का रेखाचित्र बनाने को कहा जाए तो वह एक तरह की रेखाओं का प्रयोग करेगा, जिन रेखाओं का व्यवहार पक्षी का चित्र बनाते समय वह बिल्कुल नहीं करता है।

प्रसिद्धि के इच्छुक, विचार शून्यता के कारण सब ओर दौड़ते हुए मूर्ख लोग पक्षी की तरह ही उपहास योग्य होते


हवा के ताल-ताल पर जिस पक्षी के पंख नहीं चलना चाहते हैं, वह ऊँचा नहीं उड़ पाता है।

जंगल में रहने वाले पक्षी की उपेक्षा पिंजड़े का पक्षी ही अधिक फड़फड़ाता है।


प्यास से व्याकुल चातक पक्षियों के समूह जिनसे जल की प्रार्थना कर रहे हैं, ऐसे ये बादल, जल-भार से विनत, कर्ण-मधुर गर्जना करते हुए और अनेक धाराओं में बरसते हुए धीरे-धीरे चले जा रहे हैं।
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere