नसीरूद्दीन का निशाना

nasiruddin ka nishana

अज्ञात

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नसीरूद्दीन का निशाना

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नोट

प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा चौथी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

एक दिन नसीरूद्दीन अपने दोस्तों के साथ बैठे बतिया रहे थे। बात ही बात में उन्होंने गप्प मारना शुरू कर दिया, “तीरंदाज़ी में मेरा मुक़ाबला कोई नहीं कर सकता। मैं धनुष कसता हूँ, निशाना साधता हूँ और तीर छोड़ता हूँ, शूँ...ऊँ...ऊँ। तीर सीधे निशाने पर लगता है।” दोस्तों को विश्वास नहीं हुआ।

उन्होंने नसीरूद्दीन की परीक्षा लेने का फ़ैसला किया। एक दोस्त भागा-भागा गया और तीर-धनुष ख़रीदकर ले आया। नसीरूद्दीन को थपाते हुए उसने कहा, “ये लो तीर-धनुष और अब साधो अपना निशाना उस लक्ष्य पर। देखते हैं कि तुम सच बोल रहे हो या झूठ।”

नसारूद्दीन फँस गए। उन्होंने धनुष अपने हाथों में उठाया, डोर खींची, निशाना साधा और छोड़ दिया तीर को।

शूँ...ऊँ...ऊँ।

तीर निशाने पर नहीं लगा। बल्कि वह तो बीच में ही कहीं गिर गया।

“हा!हा!हा!हा!हा!” सभी दोस्त हँसने लगे।

“क्या ही तुम्हारा बेहतरीन निशाना था?” उन्होंने कहा।

“नहीं, नहीं! हरगिज़ नहीं! यह तो काज़ी का निशाना था। मैं तो तुम्हें दिखा रहा था कि काज़ी कैसे निशाना लगाता”, इतना कहते हुए नसीरूद्दीन ने दुबारा धनुष उठाया, डोर खींची, निशाना साधा और तीर को छोड़ दिया।

शूँ...ऊँ...ऊँ।

इस बार तीर पहले वाले तीर से तो थोड़ा आगे गिरा पर निशाना फिर भी चूक गया।

दोस्तों ने कहा, “यह तो ज़रूर तुम्हारा ही निशाना था नसीरूद्दीन।”

“बिल्कुल नहीं”, नसीरूद्दीन ने कहा, “यह मेरी नहीं, सेनापति का निशाना था।”

एक दोस्त ने ताना कसा, “सूची में अब अगला कौन है?”

इतना सुनते ही सबने जमकर ठहाका लगाया।

नसीरूद्दीन ख़ामोश रहा। उसने चुपचाप एक और तीर उठाया। नसीरूद्दीन ने एक बार फिर तीर चलाया।

शूँ...ऊँ...ऊँ।

इस बार तीर ठीक निशाने पर लग गया। सभी आश्चर्य से नसीरूद्दीन की ओर मुँह बाए ताकने लगे। इससे पहले कि कोई कुछ कह पाता नसीरूद्दीन ने एक विजेता के अंदाज़ में कहा, “देखा तुमने! यह था मेरा निशाना।”

स्रोत :
  • पुस्तक : रिमझिम (पृष्ठ 42)
  • प्रकाशन : एनसीईआरटी
  • संस्करण : 2022
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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