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किसान की होशियारी

kisan ki hoshiyari

अज्ञात

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किसान की होशियारी

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    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा तीसरी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    एक किसान अपना खेत जोत रहा था। अचानक कहीं से एक भालू गया। भालू किसान को मारने झपटा। किसान ने कहा, “मुझे क्यों मारते हो? उपज होने दो, जो कहोगे, वही खिलाऊँगा।”

    भालू ने कहा, “भूमि के ऊपर की उपज मेरी और नीचे की तुम्हारी रहेगी।”

    किसान ने आलू बो दिए। उपज हुई तो भालू को पत्ते खाने को मिले। भालू चिढ़कर रह गया।

    अगली बार भालू ने कहा, “देखो इस बार भूमि के नीचे की उपज मेरी और ऊपर की तुम्हारी।”

    इस बार किसान ने गेहूँ बो दिया। जब उपज हुई तो किसान को मिले चमकीले गेहूँ। भालू को मिलीं केवल जड़ें। भालू खीझकर रह गया।

    इस बार भालू ने किसान को पाठ पढ़ाने की सोची। उसने किसान से कहा, “भूमि के सबसे ऊपर और भूमि के नीचे की उपज मेरी।” किसान मान गया।

    इस बार किसान ने लगाया गन्ना। जब उपज हुई तो भालू को मिले पत्ते और जड़ें। भालू का सिर चकरा गया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : वीणा (पृष्ठ 114)
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

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