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चेत, चेत मन अंधा

chet, chet man andha

गवरी बाई

गवरी बाई

चेत, चेत मन अंधा

गवरी बाई

चेत, चेत मन अंधा, भज ले नागर नंदा।

सुमरण साँवरिया नुं करतां, कट जाये यम फंदा॥

पुरण ब्रह्म परम कृपाल हे, करूणा सागर सिंधु।

अधम उधारण अघ निवारण, तारण भवजल सिंधु॥

कइ जुग बीते विषय रस पीते, अजहु मूढ़ अघायो।

भव सें भटके, उंधे मुख लटके, फिर जनम्यो फिर जायो॥

प्राणी पड़ियो नरक नी खानी, चीड़ा नुं चुंटी खायो।

हरी भज मेटो, स्तुती कर छुटो, उदर क्यूँ बिसरायो॥

बाहिर आयो, भजन भुलायो, माया में मुरजानो।

बालापन में खाया खेल्यो, पर हाथ पर बेठानो॥

जो आंनी में रातो मातो, विषय रंग में भीनो।

मोह मदिरा, पीत अधीरा, मूरख मत को हीनो॥

तीस चालीसे बरसे चेत्यो, पापी पइसो जोड़े।

कुंटुब कबीलो, विषय में पडियो, अधिक नेह कूँ जोड़े॥

आइ साठी बुद्धि सब नाठी, लाठी ग्रहवा लाग्यो।

करूप काया, बल घटाया, परमारथ नहीं जाग्यो॥

श्रवणे बुझे नयणे सुझे नासिका झरने लागी।

कुटंब कहे कब, टरे मरे कब, तोये चेत्यो अभागी॥

यम आव लगा, सब भये अलगा, मारन लागे प्रहार।

तब पछतावे सिर धुणावे, अगणित दुःख अपार॥

ना दिया दान, किया सनमान, कहो कैसे आवे आडी।

हरि नहीं पूज्या, गुरु नहीं बुझ्या, पडयो चोरासी खाडी॥

दास गवरी कहे सिव परदेसी पूरण परमानंदा।

मन, क्रम, वचने, साचे दल चलने, कटिया यम का फंदा॥

स्रोत :
  • पुस्तक : गवरी बाई (भारतीय साहित्य के निर्माता)
  • संपादक : मथुरा प्रसाद अग्रवाल
  • रचनाकार : गवरी देवी
  • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी, नई दिल्ली
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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