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बनिया समुझ कै लाद लदनियाँ

baniya samujh kai lad ladaniyan

पलटू

अन्य

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पलटू

बनिया समुझ कै लाद लदनियाँ

पलटू

और अधिकपलटू

    बनिया समुझ कै लाद लदनियाँ।

    यह सब मीता काम आवै, सँग जाइ परधनियाँ॥

    पाँच मने की पूँजी राखत, होइगे गर्ब गुमनियाँ॥

    करि ले भजन साध कीसेवा, नाम से लाव लगनियाँ॥

    सौदा चाहै तो याँही करि ले, आगे हाट दुकनियाँ॥

    पलटु दास गोहराय कहत हैं, आगे देस निरपनियाँ॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : पलटू साहेब की बानी (पृष्ठ 423)
    • संपादक : अभिलाषा दास
    • रचनाकार : पलटू
    • प्रकाशन : कबीर आश्रम, कबीर नगर, इलाहाबाद
    • संस्करण : 2012

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