Font by Mehr Nastaliq Web

सबद संग्रह

गोरखनाथ के ‘सबदी’ को

बाद के संत कवियों ने ‘सबद’ बना लिया। संतों की आत्मानुभूति ‘सबद’ कहलाती है। सबद गेय होते हैं और राग-रागिनियों में बंधे हुए होते हैं। ‘सबद’ का प्रयोग आंतरिक अनुभव-आह्लाद के व्यक्तीकरण के लिए किया जाता है।

267
Favorite

श्रेणीबद्ध करें

सावण सरसी कामणी

गुरु अर्जुनदेव

प्रीतम प्रीति बसे दिल मेरो

दरिया (बिहार वाले)

गोपाल तेरा आरता

धन्ना भगत

जो धुनियाँ तौ भी मैं राम तुम्हारा

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

साधो नारि नैन सर बंका

दरिया (बिहार वाले)

पंडित सांच कहे जग मारे

दरिया (बिहार वाले)

साधो एक अचंभा दीठा

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

साधो ऐसी खेती करई

संत दरिया (मारवाड़ वाले)

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए