विद्यापति की संपूर्ण रचनाएँ
पद 40
उद्धरण 3

विधाता के पास सौंदर्य का जितना कोष था, इसके अनुपम सौंदर्य की रचना करते हुए, वह सब सूना हो गया। यही जानकर विधाता ने शून्य को लाकर कामिनी की केश-राशि का निर्माण किया।
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