सोमप्रभ सूरि की संपूर्ण रचनाएँ
दोहा 10
माणि पणट्ठइ जइ न तणु, तो देसडा चइज्ज।
मा दुज्जन-कर-पल्लविहिँ, दंसिज्जंतु भमिज्ज॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
वेस विसिट्ठह वारिअइ, जइ वि मणोहर-गत्त।
गंगाजल-पक्खालिअवि, सुणिहि कि होइ पवित्त॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
रिद्धि विहूणइ माणुसह न कुणइ कुवि संमाणु।
सउणिहि मुच्चउ फल रहिउ तरुवरु इत्थु पमाणु॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
चूडउ चुन्नी होइसइ मुद्धि कवोलि निहत्तु।
सासानलिण झलक्कियउं वाह-सलि-संसित्तु॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर
पिउ हउं थक्किय सयलु दिणु तुह विरहरग्गि किलंत।
थोडइ जलि जिम मच्छलिय तल्लोविल्लि करंत॥
- फ़ेवरेट
-
शेयर