Font by Mehr Nastaliq Web
Sardar Puran singh's Photo'

सरदार पूर्ण सिंह

1881 - 1931 | एबटाबाद, ख़ैबर पुख़्तुंख़ुवा

आधुनिक पंजाबी-काव्य के प्रमुख कवि। द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबंधकार। 'मज़दूरी और प्रेम' निबंध के लिए उल्लेखनीय।

आधुनिक पंजाबी-काव्य के प्रमुख कवि। द्विवेदी युग के श्रेष्ठ निबंधकार। 'मज़दूरी और प्रेम' निबंध के लिए उल्लेखनीय।

सरदार पूर्ण सिंह के उद्धरण

श्रेणीबद्ध करें

हमारे यहाँ के मज़दूर, चित्रकार तथा लकड़ी और पत्थर पर काम करने वाले भूखों मरते हैं तब हमारे मंदिरों की मूर्तियाँ कैसे सुंदर हो सकती हैं?

सच्चा साधु धर्म को गौरव देता है, धर्म किसी को गौरवान्वित नहीं करता।

मनुष्य और मनुष्य की मज़दूरी का तिरस्कार करना नास्तिकता है।

भारत की महिमा पवित्रता के आदर्श में है।

वही सच्चा कवि है जो दिव्य सौंदर्य के अनुभव में लीन हो जाए।

अन्न पैदा करने में किसान भी ब्रह्मा के समान है। खेती उसके ईश्वरीय प्रेम का केंद्र है। उसका सारा जीवन पत्ते-पत्ते में, फूल-फूल में बिखर रहा है।

सत्वगुण के समुद्र में जिनका अंतःकरण निमग्न हो गया वही महात्मा साधु और वीर हैं।

अख़बार लिखने वाले मामूली सिक्के के मनुष्य होते हैं।

जो आँख हर आँख में अपने ही प्यारे को देखती है, वह कला के पैमानों के कारागार में कैसे बंद हो सकती है?

मनुष्य-पूजा ही सच्ची ईश्वर-पूजा है।

जब हम मनुष्य हो जाएँगे तब तो तलवार भी, ढाल भी, जप भी, तप भी, ब्रह्मचर्य भी, वैराग्य भी सबके सब हमारे हाथ के कंकणों की तरह शोभायभान होंगे, और गुणकारक होंगे।

जब तक देश में पवित्रता नहीं आती तब तक बल नहीं आता।

Recitation