संतोष अर्श की कविताएँ
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere
1987 | बाराबंकी, उत्तर प्रदेश
नई पीढ़ी के हिंदी कवि-ग़ज़लकार। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।
नई पीढ़ी के हिंदी कवि-ग़ज़लकार। लोक-संवेदना और सरोकारों के लिए उल्लेखनीय।