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रमण महर्षि

1879 - 1950 | तिरुचुली, तमिलनाडु

समादृत भारतीय संत, जीवन-मुक्त और दार्शनिक। 'मैं कौन हूँ?' के आत्म-अन्वेषण मार्ग के प्रतिपादक।

समादृत भारतीय संत, जीवन-मुक्त और दार्शनिक। 'मैं कौन हूँ?' के आत्म-अन्वेषण मार्ग के प्रतिपादक।

रमण महर्षि की संपूर्ण रचनाएँ

उद्धरण 22

समय केवल एक विचार है। हमारे पास केवल सत्य है। आप जो सोचते हैं, वह प्रकट हो जाता है। अगर आप समय कहें, तो यह समय है।

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कभी कभी ऐसा समय आता है जब मनुष्य को वह सब भूलना होता है, जितना उसने सीखा हो।

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केवल इस आत्मानुसंधान : ‘मैं कौन हूँ’ के साथ ही मन को शांत कर सकते हैं।

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‘मैं करता हूँ’ यही भाव तो अवरोध है। स्वयं से पूछें : ‘कौन करता है?’

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‘मैं कौन हूँ’ इस अनुसंधान का अर्थ यही है कि आप अहं के स्रोत का पता करें।

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