जैनेंद्र कुमार के रेखाचित्र
मेरी माताजी
अपनी माताजी के बारे में कुछ कहते मुझे झिझक होती है। पिता को तो मैंने जाना ही नहीं। चार महीने का था, तभी सुनते हैं उनका देहांत हो गया। पिता की ओर के किन्हीं संबंधी होने का मुझे पता नहीं। घर की हालत नक़द या जाएदाद की तरफ़ से एक दम सिफ़र थी। इससे छुटपन
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere