जैनेंद्र कुमार के निबंध
इतस्तत:
पाप का सवाल एक बहुत बड़ा सवाल है। पाप समाप्त हो तो धर्म अनावश्यक हो जाता हैं। परम आस्तिक और परम नास्तिक दर्शन यही कहते हैं। आस्तिक कहता है कि तुम कुछ नहीं करते, सब परमेश्वर करता है। जो कुछ करता ही नहीं, कर सकता ही नहीं, वह पाप को करेगा। दूसरी और परम
बाज़ार दर्शन
एक बार की बात कहता हूँ। मित्र बाज़ार गए तो थे कोई एक मामूली चीज़ लेने, पर लौटे तो एकदम बहुत-से बंडल पास थे। मैंने कहा—यह क्या? बोले—यह जो साथ थीं। उनका आशय था कि यह पत्नी की महिमा है। उस महिमा का मैं क़ायल हूँ। आदिकाल से इस विषय में पति से पत्नी
aaj ik aur baras biit gayā us ke baġhair
jis ke hote hue hote the zamāne mere