गणेश शंकर विद्यार्थी के उद्धरण

मानव स्वत्व मिला नहीं करते। उन्हें लेना पड़ता है। बल चाहिए- बल।

कठिन समय, विपत्ति और घोर संग्राम, और कुछ नहीं, केवल प्रकृति की काट-छाँट हैं।
- फ़ेवरेट
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया

जब किसी के बारे में लिखो तो यह समझकर लिखो कि वह तुम्हारे सामने ही बैठा है और तुमसे जवाब तलब कर सकता है।
-
संबंधित विषय : समझता
- फ़ेवरेट
-
शेयर
- सुझाव
- प्रतिक्रिया