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करत गोपाल यमुना जल क्रीड़ा

karat gopaal yamuna jal kriiDa

परमानंद दास

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परमानंद दास

करत गोपाल यमुना जल क्रीड़ा

परमानंद दास

और अधिकपरमानंद दास

    करत गोपाल यमुना जल क्रीड़ा।

    सुर नर असुर थकित भये देखत बिसर गई तनमन जिय पीड़ा॥

    मृगमद तिलक कुंकुम चंदन अगर कपूर वास बहु भुरकन।

    कुच युग मग्न रसिक नंदनंदन कमल पाणि परस्पर छिरकन॥

    निर्मल शरद कमलाकृत शोभा बरखत स्वाति बूंद जलमोती।

    परमानंद कंचन मणि गोपी मरकत मणि गोविंद मुख जोती॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : अष्टछाप के कवि (पृष्ठ 112)
    • संपादक : हरगुलाल
    • रचनाकार : परमानंददास
    • प्रकाशन : प्रकाशन विभाग सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार
    • संस्करण : 2008

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