Font by Mehr Nastaliq Web

जीव की दया जेहि जीव ब्यापै नहीं

jeew ki daya jehi jeew byapai nahin

धरनीदास

अन्य

अन्य

धरनीदास

जीव की दया जेहि जीव ब्यापै नहीं

धरनीदास

और अधिकधरनीदास

    जीव की दया जेहि जीव ब्यापै नहिं,

    भूखे अहार प्यासे पानी।

    साधु से संग नहिं सब्द से रंग नहिं,

    बोलि जानै मुख मधुर बानी॥

    एक जगदीस को सीस अरपै नहिं,

    पाँच पच्चीस बहु बात ठानी॥

    राम को नाम निज धाम बिस्राम नहिं,

    धरनी कह धरनि मों धृग सो प्रानी॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : धरनीदास की बानी (पृष्ठ 31)
    • रचनाकार : धरनीदास
    • प्रकाशन : वेलवेडियर छापाखाना इलाहाबाद
    • संस्करण : 1931

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए