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कंज कैसे फूले नैन दार्यौं से दसन ऐन

kanj kaise phule nain daryaun se dasan ain

केशवदास

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केशवदास

कंज कैसे फूले नैन दार्यौं से दसन ऐन

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और अधिककेशवदास

    कंज कैसे फूले नैन दार्यौं से दसन ऐन,

    बिंब से अधर, हास सुधा सो सुधार्यो है।

    बेनी पिकवैनी की त्रिबेनी सी बनाइ गुही,

    बार कै सेवार करिहाँ कों करि हार्यो है॥

    कीने कुच अमल कलपतरु के से फल,

    केसौदास यातें बिधि मुगध बिचार्यो है।

    देखौ गुपाल सखी मेरी को सरीर सब,

    सोने सों सँवारि सब सोंधे सो सँवार्यो है॥

    स्रोत :
    • पुस्तक : रसिकप्रिया (पृष्ठ 242)
    • संपादक : प्रियाप्रसाद तिलक
    • रचनाकार : केशवदास
    • प्रकाशन : कल्याणदास एंड ब्रदर्स ज्ञानवापी, वाराणसी
    • संस्करण : 1967

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