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यादों में चिट्ठी

yadon mein chitthi

राजकुमार

अन्य

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राजकुमार

यादों में चिट्ठी

राजकुमार

और अधिकराजकुमार

     

    एक

    प्यारे दोस्त,
    क्या तुम जानते हो
    ढाई बरस पहले
    लिखी एक चिट्ठी
    तुम तक इसलिए नहीं पहुँची
    क्योंकि उस पर
    वही पता दर्ज़ था
    जहाँ तुम अब नहीं रहते।

    दो

    समय बीत गया दोस्तो,
    मैंने मान लिया है
    अब कोई नहीं देगा मेरी चिट्ठी का उत्तर
    फिर भी, पुराने पते पर भेजता हूँ चिट्ठियाँ
    ताकि सनद रहे
    तुम्हारे लौट आने का।

    तीन

    'तुम अपना ख़याल रखना'
    यह किसी दोस्त ने नहीं
    प्रेमिका ने कहा था
    फिर भी, उसने मेरे लिए
    कभी चिट्ठी नहीं लिखी।

    चार

    पिता जब रहते थे शहर
    माँ लिखती थी चिट्ठी
    मैं जब गाँव से शहर आया
    माँ ने ख़ुश रहने का आशीष दिया
    लेकिन नहीं दी कभी कोई चिट्ठी।

    पाँच

    ऐसा भी समय था
    जब पते पर आती थी चिट्ठियाँ
    अब कोई ख़बर लेने भी नहीं आता 
    कि कहाँ रहता हूँ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : राजकुमार
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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