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विजन पथ पर नहीं जन पथ पर चलो

wijan path par nahin jan path par chalo

पूरन चंद्र जोशी

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पूरन चंद्र जोशी

विजन पथ पर नहीं जन पथ पर चलो

पूरन चंद्र जोशी

और अधिकपूरन चंद्र जोशी

    जन से विमुख नहीं

    जन के बीच रहो

    जन से अलग नहीं

    जन के साथ रहो

    जन को जानो

    जन को पहचानो

    जन के द्वारा ही

    ख़ुद को भी जानो

    जन की व्यथा सहो

    जन के साथ तपो

    जन के सुख दुख में

    रोओ और हँसो

    जन के साथ ही

    नव-नव स्वप्न रचो

    जन की शक्ति से ही

    नूतन सृष्टि रचो

    कहा गौतम ने

    जन हेतु जियो मरो

    कहा बापू ने

    जन हेतु जियो मरो

    जन के अश्रु पोंछो

    जन का विषाद हरो

    तन मन धन सभी

    जन को ही अर्पित करो

    जन के जीवन का

    अज्ञान तमस हरो

    जन के जीवन में

    ज्ञान का आलोक भरो

    यश के लिए नहीं

    सेवा के लिए जियो

    जो कुछ भी संचय करो

    बाँट कर उसे जियो

    लोभ पैदा करता सदा

    जन हित से अलगाव

    भोगी का होता सदा

    अपनों से ही दुराव

    असाधारण नहीं

    साधारण बनकर जियो

    स्वमुक्ति हेतु नहीं

    जन मुक्ति हेतु जियो

    जन की वाणी सुनो

    जन भाषा ग्रहण करो

    जन से शिक्षा लो

    जन को शिक्षित करो

    महलों का मोह तजो

    वैभव का लोभ तजो

    नहीं परजीवी बनो

    श्रमजीवी बनकर जियो

    अभिजात पथ पर नहीं

    लोक पथ पर चलो

    विजन पथ पर नहीं

    जन पथ पर चलो।

    स्रोत :
    • पुस्तक : इत्यादि जन (पृष्ठ 173)
    • रचनाकार : पूरन चंद्र जोशी
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2012

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