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अगर यह हत्या थी

agar ye hattya thi

महेश वर्मा

अन्य

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महेश वर्मा

अगर यह हत्या थी

महेश वर्मा

और अधिकमहेश वर्मा

    वह इतनी सरल बात थी कहने में

    कि मुझे भाषा की शर्म थी उसे लिखने में

    वह पानी थी अपनी सरलता में

    और हवा थी अपनी पुकार में, साफ़दिली में

    इसके रेशे सुलझे हुए थे

    होने के कारण भी साफ़ थे

    अगर दुःख थी यह बात तो

    यह संसार के सबसे सरल आदमी का दुःख था

    यह भूख थी अगर तो उन लोगों की थी

    जो मिट्टी के बिस्कुट गढ़कर दे रहे थे अपने बच्चों को

    जो बीच-बीच में देख लेते थे आकाश

    अगर यह हत्या थी

    तो यह एक आदिवासी की हत्या थी।

    स्रोत :
    • पुस्तक : धूल की जगह (पृष्ठ 19)
    • रचनाकार : महेश वर्मा
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2018

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