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उसके सारे अंग हँस रहे थे

uske sare ang hans rahe the

नरेश अग्रवाल

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नरेश अग्रवाल

उसके सारे अंग हँस रहे थे

नरेश अग्रवाल

और अधिकनरेश अग्रवाल

    कुछ भी कहो उससे अच्छा या बुरा

    वह हँसता ही चला जाता था

    बार-बार हँसता था

    मुझे समझ में नहीं आया उसका हँसना

    यह हँसी उसकी जेब से नहीं थी

    क्योंकि वह फटी थी

    किसी आभूषण की भी नहीं थी

    क्योंकि लोहे की अँगूठी के सिवा

    कुछ नहीं था उसके पास

    चप्पल, जूते

    कोई बड़ी-सी चमकती चाबी

    फिर ये हँसी कहाँ से रही थी?

    मैंने कारण पूछा तो वह फिर हँसा

    बिना कुछ कहे आगे बढ़ गया

    पीछे से उसकी क़मीज़ उड़ रही थी

    जिसका निचला छोर

    होंठ हिलाते हुए हँस रहा था

    उसके सारे अंग हँस रहे थे

    जैसे उपहास उड़ा रहे हों

    पूरी दुनिया का

    स्रोत :
    • पुस्तक : हथियार की तरह (पृष्ठ 9)
    • रचनाकार : नरेश अग्रवाल
    • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
    • संस्करण : 2021

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