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तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ

tumhein aur tumhein hi pyaar karti hoon

अनुवाद : सईद शेख़

आऊलिक्की ओकसानेन

अन्य

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आऊलिक्की ओकसानेन

तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ

आऊलिक्की ओकसानेन

और अधिकआऊलिक्की ओकसानेन

    तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ

    रात मेरे सर पर अँधेरे की माला से दबाव डालती है

    ताकि मैं तुम्हें देख पाऊँ।

    कैसे चिड़िया अपने पंख मोड़ती है!

    कैसे बहता है पानी चट्टानों के नीचे से!

    कैसे उठते हैं जंगल हवाओं के साथ!

    और कैसे बादलों की वर्षा हो जाती है ठोस पत्थरों में।

    तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ

    रात मेरे सर पर अँधेरे की माला से दबाव डालती है

    ताकि मैं तुम्हें देख पाऊँ।

    कैसे व्योम मुझे पुकारता है!

    कैसे गुज़रते हुए तारे चीख़ते हैं!

    कैसे बच्चे दुनिया के तटों पर रोते हैं!

    और समुद्रों के ऊपर उठता है धुँआ हृदयों से!

    तुम्हें और तुम्हें ही प्यार करती हूँ

    तुम्हारा मुलायम हाथ दिखता है

    जैसे अलस्सुबह, नाव नदी पर।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 225)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : आऊलिक्की ओकसानेन
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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