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बताना

batana

पायल भारद्वाज

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और अधिकपायल भारद्वाज

    एक माँ ने कभी नहीं बताया

    क्यों दूर रहना चाहिए

    उसकी बड़ी होती बेटी को अपने फूफा से

    क्यों उसे फूटी आँख नहीं सुहाता वह घिनौना आदमी

    क्यों बहुत गंदे हैं पड़ोस के चाचा

    नहीं बता सकी एक बड़ी बहन अपनी छोटी बहन को :

    कई दिन इसी उधेड़बुन में रही थी वह भी

    कि लकड़ी जैसा सख़्त क्या है चाचा की जाँघों के बीच

    जिसका स्पर्श कराया गया था उसे

    खेल-खेल में

    नहीं बता सकी कि उसने दुबारा छूकर देखा था उस चीज़ को

    दिमाग़ पर छाए मकड़जाल से निकलने के लिए

    जिससे फिर कभी वह निकल ही नहीं पाई

    एक सहेली ने कभी नहीं कहा दूसरी सहेली से :

    गली में रोककर मेरे सीने पर हाथ मारा था

    तेरे भाई ने

    साँझ के झुटपुटे में

    नहीं कहा कि तुझसे जन्म-जन्मातर के हवाई वायदे करने वाले इस लड़के ने

    इसी तरह डोरे डाले थे मुझ पर भी

    नहीं बताया कैसे छोड़ दिया था उस घाघ लड़के ने उसे भी

    साथ सोने से मना करने पर

    क्यों चली जाती है भैयाजी के आने से पहले ही—

    एक काम वाली ने कभी नहीं बताया अपनी मालकिन को

    बताया मालकिन ने ही

    कि क्यों चली गई थी पुरानी बाई काम छोड़कर

    नौकरी से निकालने की धमकी देकर

    टेबल के नीचे से जाँघों पर हाथ फेरना

    बॉस का पसंदीदा शग़ल है

    एक सहकर्मी कभी बता नहीं पाई अपनी नई सहकर्मी को

    वे औरतें थीं

    उन्हें घाव दिखाने की मनाही थी

    उनके घाव; घाव नहीं, इज़्ज़त थे

    जिन पर पड़ा था चुप्पियों का पर्दा

    इज़्ज़त ढाँपती चुप्पियों के बीच

    लुटती रहीं औरतों पर औरतें

    और भौंडी मुस्कान लिए

    बेख़ौफ़ घूमते रहे

    वहशी लुटेरे

    स्रोत :
    • रचनाकार : पायल भारद्वाज
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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