वापस

wapas

विष्णु खरे

सफ़ेद मूँछें सिर पर उतने ही सफ़ेद छोटे-छोटे बाल

बूढ़े दुबले झुर्रीदार बदन पर मैली धोती और बनियान

चेहरा बिल्कुल वैसा जैसा अस्सी प्रतिशत भारतवासियों का

शहर के बीच सिनेमा के पास वह

ज़मीन पर नक़्शे, बायोलॉजी, गणित और बारहखड़ी के चार्ट बेच रहा है

नक़्शे और चार्ट काफ़ी जगह घेरते हैं

बूढ़े का उन तक हाथ नहीं पहुँचता

इसलिए उसके पास एक लड़की है दस-ग्यारह बरस की

घरेलू लड़कियों की तरह दुबली बड़ी-बड़ी सहमी सफ़ेद आँखों

लेकिन सहज मुस्कानवाली

वह उसकी नातिन है या धेवती नहीं कहा जा सकता

मगर इतवार का दिन है और तय है कि उसका दिल

खेलों और सहेलियों को याद कर रहा होगा

बूढ़ा उसे ग्राहकों की फ़रमाइश पर

इस नक़्शे या उस चार्ट को दिखाने को कहता है

यह नहीं कि नक़्शों में लड़की की कोई दिलचस्पी नहीं है

लेकिन आदमी औरतों की माँसपेशियों और शिराओंवाले

बायोलॉजी के चार्टों में दिलचस्पी रखते हैं

क्या हरयाना का नक़्शा रखते है?

इंडिया का रेलवे मैप होगा?

फ़ीमेल एनॉटमी का इन-डैप्थ चार्ट है क्या

कॉलेज के दो लड़के पूछते हैं

एक विदेशी लड़की को शहर का नक़्शा मिल गया है

वह मुस्करा कर एक जगह उँगली रखकर मित्र से कहती है

वी आर हियर और कुछ समझकर

छोटी लड़की पंजों के बल खड़ी होकर देखती है कि उसकी दुकान कहाँ है

दुपहर के तीन बज रहे हैं

कि दूर नुक्कड़ से जैसे किसी आँधी में बुहारे गए

रूमाल, पैन, चश्मे, टेरीकॉट और अंडरवियर वाले

अपनी-अपनी गठरियाँ उठाए इस तरफ़ भागते हुए आते हैं

मुनिस्पल कमेटी का उड़नदस्ता गया है

इन ग़ैरक़ानूनी दुकानों को पकड़ने के लिए

दोनों भागते हैं अपनी दुकान लिए सिनेमाघर के पीछे

कई नक़्शे और चार्ट फिर भी पीछे छूट गए हैं

उड़नेदस्ते के सिपाही और इंस्पैक्टर उन्हें अपने क़ब्ज़े में लेते हैं

शहर सूबे मुल्क और संसार

और मर्दों और औरतों के शरीरों की बनावट के चार्ट

ज़ब्त कर लिए जाते है एक गठरी में

और जब दबिश ख़त्म होती है और कारिंदे ट्रक में बैठकर लौटते हैं

तब उन्हें एक-दूसरे को दिखाते हैं

बूढ़ा और लड़की अपने आश्रय से गर्दन बाहर निकालते हैं

वह लड़की को भेजता है कि देखकर आए

वह लौटकर बताती है कि थोड़ा-सा माल सड़क पर उड़ा पड़ा है

सरकार कमेटी और दुनिया को गालियाँ बकता हुआ

बूढ़ा चादर लिए लौटता है अपने ठीए पर

ग्राहक फिर रहे हैं

कुछ चीज़ें ऐसी हैं तमाम चीज़ों के बावजूद जिनकी ज़रूरत नहीं बदलती

जैसे नक़्शे इबारत गिनती और आदमी के शरीर की बनावट की तस्वीरें

जिन्हें बूढ़ा और लड़की फिर बेच रहे हैं

वापस अपने नक़्शे में अपनी जगह पर

स्रोत :
  • पुस्तक : पिछला बाक़ी (पृष्ठ 80)
  • रचनाकार : विष्णु खरे
  • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
  • संस्करण : 1998

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