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उसका आना

uska aana

राजेंद्र धोड़पकर

अन्य

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और अधिकराजेंद्र धोड़पकर

    उसका आना इतना चुपचाप जैसे वह

    अपने से संबंधित सारी आवाज़ें बाहर ही छोड़ आया था

    उसने आकर मेरे कंधे पर हाथ रखा

    उसका स्पर्श इतना हल्का कि लगभग नहीं

    जैसे हवा को छुआ हो उसने

    मैंने देखा उसे पलट कर

    और शायद मैंने कुछ नहीं देखा

    वह संभवतः बैठा मेरे कमरे में

    वह मेरे बचपन का खेल का मैदान था या

    कॉलेज के दिनों का वह नुक्कड़ जहाँ हम बैठते थे

    वह कोई दोस्त था जो नौकरी के लिए हज़ार मील दूर गया था

    या ज़िंदगी का कोई एक क्षण जो काँपता

    सारी ज़िंदगी में फैल गया था जिसकी अदृश्य उपस्थिति

    मुझे बेचैन कर रही थी

    लेकिन वह जब रोया तो उसकी गूँज

    मैंने महसूस की अपनी हड्डियों में

    स्रोत :
    • पुस्तक : दो बारिशों के बीच (पृष्ठ 20)
    • रचनाकार : राजेंद्र धोड़पकर
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1996

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