Font by Mehr Nastaliq Web

स्वर्ग से विदाई

swarg se widai

गोरख पांडेय

अन्य

अन्य

गोरख पांडेय

स्वर्ग से विदाई

गोरख पांडेय

रोचक तथ्य

इस कविता का शीर्षक रवींद्रनाथ ठाकुर की कविता 'स्वर्ग थेके बिदाय' से लिया गया है।

भाइयो और बहनो!

अब यह आलीशान इमारत

बन कर तैयार हो गई है

अब आप यहाँ से जा सकते हैं

अपनी भरपूर ताक़त लगाकर

आपने ज़मीन काटी

गहरी नींव डाली

मिट्टी के नीचे दब भी गए आपके कई साथी

मगर आपने हिम्मत से काम लिया

पत्थर और इरादे से

संकल्प और लोहे से

बालू, कल्पना और सीमेंट से

ईंट दर ईंट आपने

अटूट बुलंदी की दीवारें खड़ी कीं

छत ऐसी कि हाथ बढ़ाकर

आसमान छुआ जा सके

बादलों से बात की जा सके

खिड़कियाँ

क्षितिज की थाह लेने वाली आँखों जैसी

दरवाज़े-शानदार स्वागत!

अपने घुटनों बाजुओं और

बरौनियों के बल पर

सैकड़ों साल टिकी रहने वाली

यह जीती-जागती इमारत तैयार की

अब आपने हरा भरा लॉन

फूलों का बग़ीचा

झरना और ताल भी बना दिया है

कमरे-कमरे में ग़लीचा

और क़दम-क़दम पर

रंग-बिरंगी रोशनी फैला दी है

गर्मी में ठंडक और ठंड में

गुनगुनी गर्मी का इंतज़ाम कर दिया है

संगीत और नृत्य के साज-सामान

सही जगह पर रख दिए हैं

अलगनियाँ प्यालियाँ

गिलास और बोतलें

सजा दी हैं

कम शब्दों में कहें तो

सुख-सुविधा और आज़ादी का

एक सुरक्षित इलाक़ा

एक झिलमिलाता स्वर्ग

रच दिया है

इस मेहनत और इस लगन के लिए

आपको बहुत धन्यवाद

अब आप यहाँ से जा सकते हैं

यह मत पूछिए कि कहाँ जाएँ

जहाँ चाहें वहाँ जाएँ

फ़िलहाल, उधर अँधेरे में

कटी ज़मीन पर जो झोपड़े डाल रक्खे हैं

उन्हें भी ख़ाली कर दें

फिर जहाँ चाहें वहाँ जाएँ

आप आज़ाद हैं

हमारी ज़िम्मेवारी ख़त्म हुई

अब एक मिनट के लिए भी

आपका यहाँ ठहरना ठीक नहीं

महामहिम आने वाले हैं

विदेशी मेहमानों के साथ

आने वाली हैं अप्सराएँ

और अफ़सरान

पश्चिमी धुनों पर शुरू होने वाला है

उन्मादक नृत्य

जाम छलकने वाला है

भला यहाँ आपकी क्या ज़रूरत हो सकती है

और वे आपको देखकर क्या सोचेंगे

गंदे कपड़े धूल में सने शरीर

ठीक से बोलने, हाथ हिलाने

और सिर झुकाने का भी शऊर नहीं

उनकी रुचि और उम्मीद को कितना धक्का लगेगा

और हमारी कितनी तौहीन होगी

मान लिया कि इमारत की

यह शानदार बुलंदी हासिल करने में

आपने हड्डियाँ गला दीं

ख़ून-पसीना एक कर दिया

लेकिन इसके एवज़ में मज़ूरी दी जा चुकी है

मुँह मीठा करा दिया है

धन्यवाद भी दे चुके हैं

अब आपको क्या चाहिए?

आप यहाँ से टल नहीं रहे हैं

आपके चेहरे के भाव भी बदल रहे हैं

शायद अपनी इस विशाल और ख़ूबसूरत रचना से

आपको मोह हो गया है

इसे छोड़कर जाने में दुख हो रहा है

ऐसा हो सकता है

मगर इसका मतलब यह तो नहीं

कि आप जो कुछ भी अपने हाथों से बनाएँगे

वह सब आपका हो जाएगा

इस तरह तो यह सारी दुनिया आपकी होती

फिर हम मालिक लोग कहाँ जाते

याद रखिए

मालिक मालिक होता है

मज़दूर मज़दूर

आपको काम करना है

हमें उसका फल भोगना है

आपको स्वर्ग बनाना है

हमें उसमें विहार करना है

अगर ऐसा सोचते हैं

कि आपको अपने काम का

पूरा फल मिलना चाहिए

तो हो सकता है

कि पिछले जन्मों के आपके काम

अभावों के नरक में ले जा रहे हों

विश्वास कीजिए

धर्म के सिवा कोई रास्ता नहीं

अब आप यहाँ से जा सकते हैं

क्या आप यहाँ से जाना ही नहीं चाहते?

यहीं रहना चाहते हैं

इस आलीशान इमारत में

इन ग़लीचों पर पाँव रखना चाहते हैं

ओह! यह तो लालच की हद है

सरासर अन्याय है

क़ानून और व्यवस्था पर सीधा हमला है

दूसरों की मिल्कियत पर क़ब्ज़ा करने

और दुनिया को उलट-पलट देने का

सबसे बुनियादी अपराध है

हम ऐसा हरगिज़ नहीं होने देंगे

देखिए, यह भाईचारे का मामला नहीं है

इंसानियत का भी नहीं

यह तो लड़ाई का

जीने या मरने का मसला है

हालाँकि हम ख़ून-ख़राबा नहीं चाहते

हम अमन-चैन

सुख-सुविधा पसंद करते हैं

लेकिन आप मजबूर करेंगे

तो हमें क़ानून का सहारा लेना पड़ेगा

पुलिस और ज़रूरत पड़ी तो फ़ौज बुलानी होगी

हम कुचल देंगे

अपने हाथों गढ़े

इस स्वर्ग में रहने की

आपकी इच्छा भी कुचल देंगे

वरना जाइए

टूटते जोड़ों, उजाड़ आँखों की

आँधियों, अँधेरों और सिसकियों की

मृत्यु, ग़ुलामी

और अभावों की अपनी

बेदरो-दीवार दुनिया में

चुपचाप

वापस चले जाइए।

स्रोत :
  • पुस्तक : समय का पहिया (पृष्ठ 87)
  • रचनाकार : गोरख पांडेय
  • प्रकाशन : संवाद प्रकाशन
  • संस्करण : 2004

संबंधित विषय

यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY

हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

रजिस्टर कीजिए