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ई चुप्पी कियै नहि टुटै छै

ii chuppi kiyai nahi tutai chhai

रोशन जनकपुरी

अन्य

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रोशन जनकपुरी

ई चुप्पी कियै नहि टुटै छै

रोशन जनकपुरी

और अधिकरोशन जनकपुरी

    सब बाजि रहल छै

    सब चिचिया रहल छै

    सब कऽ रहल छै हल्ला

    मुदा टूटि नहि रहल छै चुप्पी

    बात छै कि

    कियै जारिये छै लूट

    एतऽ छै सब

    राजनीति,

    शिक्षा,

    सुरक्षा,

    स्वास्थ्य।

    सब छै एतऽ।

    सब कऽ रहल छै उद्योग

    सब बाजि रहल छै

    सब फोरि रहल छै शब्दक हथौड़ीसँ

    चुप्पीके चट्टान।

    मुदा टूटि नहि रहल छै

    कियै चुप्पी?

    शब्द कहीं कपुर जकाँ

    उड़ि तँ नहि रहल छै,

    मुदा, लोकक मूड़ी सेहो हील रहल छै

    तखन चुप्पी कियै नहि टूटि रहल छै?

    बन्धु!

    चुप्पी तोड़बाक क्षेत्र

    आने ठाम अछि

    जतऽ टूइट रहल अछि

    चुप्पी

    मात्र वाणीक चुप्पी नहि,

    विचारक चुप्पी नहि,

    संरचनाक चुप्पी सेहो

    तोड़ल जा रहल अछि

    शब्दक हथौड़ीसँ सेहो

    तेँ ओतऽ

    मूड़ी मात्र नहि

    संरचने सम्पूर्ण

    हील रहल अछि।

    एतऽ तँ नाटके ने होइ छै।

    एतऽ तँ भाषणे ने होइ छै।

    तेँ एतऽ चुप्पी कोना टूटौ

    एतऽ मूड़िये ने हिलतै।

    एत्तहु जरुरी छै

    सब हीलै

    सब खसै

    जे हिलबाक चाही

    जे खसबाक चाही

    एत्तहु कयल जयबाक चाही

    प्रयास

    द्वन्द्वक बीज रोपबाक!

    मुदा अखन

    एतऽ तँ नाटके भऽ रहल अछि,

    भाषणे भऽ रहल अछि

    एतऽ तँ मूड़िये नहि हिलतै।

    स्रोत :
    • पुस्तक : समय गीत (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : रोशन जनकपुरी
    • प्रकाशन : मैथिली विकास कोष, जनकपुर
    • संस्करण : 2013

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