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चार्ली की उदास तिथि

charli ki udaas tithi

रफ़ाइल अलबर्ती

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रफ़ाइल अलबर्ती

चार्ली की उदास तिथि

रफ़ाइल अलबर्ती

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    मेरी टाई मेरे दस्ताने
    मेरे दस्ताने, मेरी टाई
    तितली को दर्ज़ियों की मौत के बाबत
    कुछ भी नहीं पता
    ना ही उन पोशाकों के बारे में
    जिन्होंने समुद्र-विजय हासिल की
    श्रीमान् मेरी उम्र नब्बे हज़ार साल है
    बाऽप-रे!

    मैं उस वक़्त बच्चा था
    जब मछलियाँ तैरा नहीं करती थीं
    न मुर्ग़ाबियाँ गीत गाती थीं
    या इल्लियाँ बिल्लियों पर आक्रमण कर देती थीं।

    मोहतरमा आएँ
    हम चूहे बिल्ली का खेल खेलें
    मगर जनाब, सबसे दुखदायी वस्तु है घड़ी
    ग्यारह, बारह, एक, दो...
    ठीक तीन बजे एक राहगीर मारा जाएगा
    मेरे कपड़े ऊब गए हैं देहात से
    मेरी उम्र अचानक पच्चीस की हो गई है

    बर्फ़ गिरनी है इसलिए बर्फ़ गिर रही है
    मेरा शरीर लकड़ी के एक टपरे में बदल गया है
    हवा, मैं तुम्हें न्यौता दे रहा हूँ
    आकर आराम करो
    सितारों की ब्याल के लिए
    अब वक़्त कुछ ज़्यादा ही हो गया है।

    पर खो गए पेड़
    हम एक धुन पर नाच तो सकते हैं
    भेड़ियों के लिए एक मस्ती-भरा नृत्य
    जिससे मुर्ग़ियाँ लोमड़ी के पंजों के भय बिना सो सकें

    मैं अपनी छड़ी कहीं रखकर भूल गया
    इतनी बड़ी दुनिया में उसके लिए अकेले रहना
    कितना दुखदायी है

    हाय मेरी घड़ी
    मेरा टोप मेरी आस्तीन मेरे दस्ताने मेरे जूते
    पर वह हड्डी जो सबसे अधिक चुभती है
    घड़ी है
    ग्यारह, बारह, एक, दो...
    ठीक तीन बजे एक नंगी लाश
    औषधालय से भाप बन उड़ जाएगी...

                 
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 87)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : रफ़ाइल अलबर्ती
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

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