Font by Mehr Nastaliq Web

बुरा क्षण

bura kshan

रफ़ाइल अलबर्ती

अन्य

अन्य

रफ़ाइल अलबर्ती

बुरा क्षण

रफ़ाइल अलबर्ती

और अधिकरफ़ाइल अलबर्ती

     

    उन दिनों जब मैं सोचा करता था
    कि गेहूँ के खेतों में देवताओं और सितारों का निवास है
    और कुहरा हिरनी की आँख का आँसू
    किसी ने मेरे सीने और छाया को पोत दिया
    ऐसे में चला गया

    यह वह क्षण था
    जब बंदूक़ की गोलियाँ पगला उठी थीं
    समुद्र उन लोगों को बहाकर ले गया
    जो चिड़िया बनना चाहते थे
    बेतार संदेश बुरी ख़बरें ही लाते थे
    ख़ून की

    और उस जल की मृत्यु की
    जो सदा से आकांश ताका करता था

         
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 89)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : रफ़ाइल अलबर्ती
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY