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स्मृति में स्पर्श

smriti mein sparsh

सविता भार्गव

अन्य

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सविता भार्गव

स्मृति में स्पर्श

सविता भार्गव

और अधिकसविता भार्गव

    मैं जिस स्पर्श के लिए तड़पती हूँ

    वह सुबह की हवा भी दे सकती है

    लॉन में लेटकर उसे घास से भी पा सकती थी

    फ़रवरी की धूप में भी

    उतना तो वह होता ही है

    पानी में डुबकी लगाकर तो किया जा सकता है

    कई गुना अधिक उसका एहसास

    सादे काग़ज़ को सामने रखकर

    पेंसिल छीलते हुए

    भरपूर रमा जा सकता है उसमें

    लेकिन करते हुए बीस वर्षीया स्त्री का स्वाँग

    स्मृति में ही पाया जा सकता है उसे

    सबसे अधिक।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने आकाश में (पृष्ठ 27)
    • रचनाकार : सविता भार्गव
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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