राजा अगर रोता है

raja agar rota hai

चंद्रेश्वर

चंद्रेश्वर

राजा अगर रोता है

चंद्रेश्वर

राजा अगर रोता है प्रजा का दुःख देखकर तो

बात ये गंदी है

राजा अगर हँसता है प्रजा की निरीहता पर तो

बात ये गंदी है

राजा अगर पड़ा है निकल दुनिया में

नाम और पुरस्कार के चक्कर में

बिलखती प्रजा को छोड़कर तो

बात ये गंदी है

राजा अगर उपदेशक है

देता है बात-बात में उपदेश किसी संत की तरह

विपदा में पड़ी प्रजा को तो

बात ये गंदी है

राजा अगर करता है मन की बात कपट-भाव से

सीधी-सरल प्रजा से तो

बात ये गंदी है

राजा अगर बदलता है दिन भर में दस पोशाक

अकाल वेला में भूखी प्रजा के सामने तो

बात ये गंदी है

राजा अगर धुनता है सिर

सुनकर समस्याएँ प्रजा की तो

बात ये गंदी है

राजा अगर बड़बड़ाता है

ख़ाली करता है वादे पर वादे प्रजा से तो

बात ये गंदी है

प्रजा अगर सहती रहती है ऐसे राजा को एक समय के बाद तो

बात ये गंदी है

कविता पढ़कर या सुनकर आप भी बने रहे ख़ामोश तो

बात ये गंदी है।

स्रोत :
  • रचनाकार : चंद्रेश्वर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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