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रपट

rapat

अनुवाद : उज्जवल भट्टाचार्य

एरिष फ्रीड

अन्य

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और अधिकएरिष फ्रीड

    जिन्हें मैं हिम्मत बँधाना चाहता था

    उन्हें मेरी आवाज़ नक़ली-सी लगी

    शायद मैं सिर्फ़ ख़ुद को ही

    हिम्मत बँधाना चाहता था

    बात ये चली नहीं :

    मैंने देखा अपने डर को

    और बेबस रहा

    क्योंकि मैं बेबस रहा

    चारा रहा सिवाए कहने के

    इस बेबसी को

    यूँ भरा था उस से लबालब

    चुप रहना नामुमकिन था

    कुछ एक ने मेरी सुनी

    जो चंद ही दिन पहले

    मेरी हिम्मत बँधाना

    सुना ही नहीं करते थे

    जिनकी मदद करना चाहता था

    अपनी हिम्मत के साथ

    शायद उनकी मदद करता हूँ

    अपनी बेबसी के साथ

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 426)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : एरिष फ्रीड
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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