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रंजन भैया तुमसे मिलकर

ranjan bhaiya tumse milkar

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

अन्य

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शैलेंद्र कुमार शुक्ल

रंजन भैया तुमसे मिलकर

शैलेंद्र कुमार शुक्ल

और अधिकशैलेंद्र कुमार शुक्ल

    कवि राकेश रंजन के प्रति

    रंजन भैया तुमसे मिलकर
    मिला बहुत कुछ जाने अनजाने में सब कुछ 
    जीवन का उल्लास मिला है
    कविताई का सार मिला है
    एक नई कविता को फिर से यह कोमल एहसास मिला है
    रंजन भैया गीली माटी
    रंजन भैया पक्का लोहा
    उस किसान के आँगन जैसा
    है, विस्तार पा चुका जिसका
    पसरा है भूगोल जहाँ तक
    भूखा है इतिहास उसी का
    रंजन भैया की छाती में भरा हुआ है एक तिहाई
    इस समुद्र में प्रेम भरा है
    इसमें छुपी हुई सच्चाई
    इसमें गगरी कौन डुबोए
    पनिहारिन इस तट पर आओ
    रंजन भैया तुमसे मिलकर प्यास बुझेगी नहीं कभी अब
    सावन प्यासा 
    भादों प्यासा
    प्यासा है जीवन मानुष का 
    सुनो माधुरी भाभी तुम भी 
    प्यासा है यह बहुत भतीजा 
    तुमसे मिलकर प्यार मिला है 
    तुमसे यह अभिमान मिला है 
    रंजन भैया मिलते रहना 
    कविता में तुम गुनते रहना 
    भनते रहना जीवन उनका 
    बुनते रहना सपने उनके 
    जिन पर यह संसार टिका है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सावन सुआ उपास (पृष्ठ 41)
    • रचनाकार : शैलेंद्र कुमार शुक्ल
    • प्रकाशन : सर्वभाषा प्रकाशन
    • संस्करण : 2023

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