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रंज इस बात का है

ranj is baat ka hai

सुशोभित

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सुशोभित

रंज इस बात का है

सुशोभित

और अधिकसुशोभित

    रंज इस बात का है कि रंज रहेगा!

    किसी संग्रहालय में नहीं सँजोया जाएगा पीड़ा का पुंज

    जंगल के फूल की तरह आँसू अनदेखे सूख जाएँगे

    जिसे नज़र-अंदाज़ कर दिया गया था,

    भला उसे याद भी क्यूँ रखा जाएगा!

    कोई नहीं जान सकेगा, टूटे मन का विलाप

    आकाश का सबसे अकेला तारा भी नहीं

    किसी बही में कुछ दर्ज किया जाएगा

    छिले घुटनों का मुआवज़ा मिलता है,

    टूटे मन का नहीं!

    रंज इसी बात का है कि रंज भी नहीं रहेगा!

    बेआवाज़ अफ़सोस की तरह कहीं डूब जाएगी दुःख की नैया!

    और फिर, हम भी आगे बढ़ जाएँगे, वस्त्रों की तरह उतारकर अपने शोक।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुशोभित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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