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क़ब्र का जीवन

qabr ka jeevan

अमिताभ

अन्य

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अमिताभ

क़ब्र का जीवन

अमिताभ

और अधिकअमिताभ

    क़ब्र सिर्फ़ क़ब्रगाहों में नहीं होती

    कुछ चौक-चौराहों पर

    कुछ बीच रास्तों पर होती हैं

    उन्हें इमली के विशाल पेड़ों की घनी छाया नसीब नहीं होती

    वे दवा या साइकिल की दुकानों से घिरी होती हैं

    किसी दरिया का पानी उन्हें चूमने नहीं आता

    कोई घास उन पर नहीं उगती

    पतझड़ के दिनों में सूखे पत्ते उन्हें ढकने नहीं आते

    वे दिन-रात सुनती हैं शटर उठने-गिरने की आवाज़

    उनके कानों में बजती रहती है साइकिल की घंटी

    हड़बड़ी में भागते लोगों के साथ

    बीतता है उन क़ब्रों का जीवन

    बिजली के तारों के बीच से

    वे देखती हैं छोटा-सा आकाश

    दिन भर धुआँ पीती हैं

    आधी रात बाद ही

    मयस्सर होती है उन्हें नींद

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमिताभ
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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