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पुरुष होना चाहती हूँ

purush hona chahti hoon

सविता भार्गव

अन्य

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सविता भार्गव

पुरुष होना चाहती हूँ

सविता भार्गव

और अधिकसविता भार्गव

    पुरुष होना चाहती हूँ कविता में

    पहनावे और केश से नहीं

    कुछ अकड़ दिखाकर भी नहीं

    यह तो आम हो गया है

    स्त्रियों के बीच

    और पुरुष भी करने लगे हैं

    इस फ़ैशन को पसंद

    पुरुष होना चाहती हूँ

    और उसकी क़लम से

    स्त्री की सुंदरता रचना चाहती हूँ

    कविता के आईने में मैं खड़ी

    अपने होंठों को चूसकर लाल कर देना चाहती हूँ

    एक्स-रे मशीन जैसी आँखों को

    अपनी देह पर टिकाती हूँ

    और पहनावे के भीतर घुसकर

    गुनाह में लिप्त हो जाती हूँ

    मैं ख़ुद से कॉफ़ी पीने का प्रस्ताव रखती हूँ

    और कॉफ़ी के घूँट पीते हुए

    जिस्म की मदिरा का अनुभव करती हूँ।

    स्रोत :
    • पुस्तक : अपने आकाश में (पृष्ठ 36)
    • रचनाकार : सविता भार्गव
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2017

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