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स्वर्गदूत

svargdut

मिखाइल लेरमेंतोव

अन्य

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और अधिकमिखाइल लेरमेंतोव

    एक रात को नील गगन में स्वर्गदूत उड़ता जाता था

    और साथ ही मदस्वर में एक गीत गाता जाता था।

    चाँद, सितारे, बादल—सब आर्श्चयचकित हो

    सुनते थे जो गीत स्वर्ग का वह गाता था।

    वह गाता था उनकी गाथा भाग्यवान जो दिव्य वेश में

    प्रभु के मधुवन में रहते हैं, जिनसे रहता पाप अंजाना,

    वह गाता था प्रभु की महिमा मुक्त कंठ से

    क्योंकि भीति-विद्वेष-मुक्त था उसका गाना।

    लिए हुए था अपनी गोदी में वह छोटा जीव कि जिसका

    जन्म जल्द होने वाला था इस कलंक से भरी धरा पर,

    स्वर्गदूत का गीत याद हो गया जीव को,

    गीत, कि जिसमें शब्द नहीं थे और अक्षर।

    जीवन की भारी घड़ियों में गीत स्वर्ग का दुहराने को,

    सुन पाने को, एक विचित्र व्यथा उठती थी उसके मन में,

    किंतु गीत वह याद नहीं उसको आता था

    इस धरती के दुख-शोक-सकुल क्रंदन में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : चौंसठ रूसी कविताएँ (पृष्ठ 92)
    • रचनाकार : मिखाइल लेरमेंतोव
    • प्रकाशन : राजपाल एंड संस
    • संस्करण : 1964

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