Font by Mehr Nastaliq Web

समर्पण

samarpan

चेस्लाव मीलोष

अन्य

अन्य

और अधिकचेस्लाव मीलोष

     

    तुम जिसे मैं बचा नहीं सका
    मुझ पर ध्यान दो
    समझने की कोशिश करो मेरी इस आसान-सी बात को
    क्योंकि कुछ और से मैं शर्मिंदा ही होऊँगा

    मैं क़सम खाता हूँ, मेरे पास कोई करिश्मा नहीं है शब्दों का
    मैं तुमसे बादल या दरख़्त की चुप्पी के साथ बात कर रहा हूँ

    जो मेरे लिए संजीवनी था तुम्हारे लिए जानलेवा साबित हुआ
    तुमने युगांतर की विदाई को नए युग की शुरूआत के साथ
    मिला दिया
    घृणा की प्रेरणा को गीतात्मक सौंदर्य के साथ
    अंधी ताक़तों को निष्णात व्यवस्था के साथ

    देखो यह पोलैंड की उथली नदियों की घाटी है
    और यह विशाल पुल आगे जाकर
    सफ़ेद धुँध में समा जाता है, यह एक तहस-नहस शहर है
    और इस वक़्त जब मैं तुमसे बात कर रहा हूँ
    तुम्हारी क़ब्र पर जलपाखियों की चीख़ें बरसा रही हैं हवा

    वह कैसी कविता है जो
    राष्ट्रों और जनता की रक्षा नहीं करती?
    सरकारी झूठ से साँठगाँठ
    पियक्कड़ों का गाना—अगले ही क्षण काट दी जाएँगी जिनकी ज़ुबानें
    मासूम लड़कियों के पढ़ने की चीज़

    अनजाने ही में चाहता था मैं बेहतर कविता
    जो बहुत बाद में जान पाया, उसका बहुजनहिताय चरित्र
    इसमें और सिर्फ़ इसी में खोज सका मैं मुक्ति

    चिड़ियों के रूप में आने वाली आत्माओं के लिए
    वे लोग क़ब्रों पर बाजरे या पोश्त के दाने डालते थे
    तुम जो कभी जीवित थे तुम्हारे लिए यह किताब
    यहीं छोड़ता हूँ मैं
    ताकि तुम्हें भविष्य में हमसे मिलने न आना पड़े

                   
    स्रोत :
    • पुस्तक : पुनर्वसु (पृष्ठ 40)
    • संपादक : अशोक वाजपेयी
    • रचनाकार : चेस्लाव मीलोष
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली
    • संस्करण : 1989

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए