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निवेश

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प्रदीप सैनी

अन्य

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और अधिकप्रदीप सैनी

    चारों तरफ़ फैले अन्याय से नहीं घबराते हैं

    न्यायाधीश

    अन्याय असहाय है उसके सामने

    उसे जब चाहे वह अपनी क़लम से मिटा सकते हैं

    यह अलग बात है कि

    वे असहाय पर वार को न्यायसंगत नहीं मानते

    वे घबराते हैं तो अपनी सेवानिवृत्ति से

    और किसी अच्छे निवेश के बारे में सोचते हुए

    फ़ैसलों पर पेंशन प्लान समझकर दस्तख़त करते हैं।

    भाषा नहीं आत्मा

    कवि की इकलौती पूँजी है

    लेकिन कवि अब नहीं करते

    कविता में अपनी आत्मा का निवेश

    ऐसा करना उनके मुताबिक़ आत्मा को ज़ाया करना है

    उन्होंने कविता को ही निवेश में बदल दिया है

    आत्मा को वे बचाकर रखते हैं

    ज़रूरत पड़ने पर कि उसे गिरवी रखकर

    कविता के मूल्य को कभी भी ऊपर उठाया जा सके।

    प्रेमियों ने प्रेम से अपना सारा निवेश निकाल लिया है

    वे कहते हैं कि यह एक डूबता हुआ कारोबार है

    प्रेम की ठप्प पड़ी दुकान पर कुछ नए धंधे ख़ूब चल निकले हैं

    जिनमें प्रेम से जोखिम कहीं कम पर मुनाफ़ा

    बहुत ज़्यादा उठाया जा सकता है।

    धर्मगुरुओं के पास अपना कुछ भी नहीं है

    आत्मा

    पूँजी

    धर्म

    वही हैं जो कह रहे हैं कि उनके पास

    सभी निवेश सुरक्षित है।

    क्रांतिकारियों ने अपने सपनों

    अपनी आग और

    अपनी आवाज़ को अपने भीतर बंद कर लिया है

    वे इसके निवेश में इच्छुक नहीं

    उन्हें लगता है कि निवेश बाज़ार की अवधारणा है

    और सभी निवेश बाज़ार जोखिमों के अधीन हैं।

    स्रोत :
    • रचनाकार : प्रदीप सैनी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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