Font by Mehr Nastaliq Web

फेंक आया अमरफल

phenk aaya amarphal

बद्री नारायण

अन्य

अन्य

बद्री नारायण

फेंक आया अमरफल

बद्री नारायण

और अधिकबद्री नारायण

    पहले मैं सोचता था

    अमर होऊँगा

    पर बुद्ध की अमरता का परिणाम देखा

    तो अमर होने का विचार त्याग दिया

    कई दिन सपने में

    जीसस क्राइस्ट को मरण के लिए

    तप करते देखा

    और बेचारा मिथकों का अश्वत्थामा

    अपनी अमरता से दुखी हो

    बार-बार करता है चीत्कार

    तो पृथ्वी पर भूकंप आता है

    और समुद्र में उठता है तूफ़ान

    इसीलिए मैंने अमरता का विचार त्याग दिया

    और

    खिड़की में फेंक आया

    अमरफल।

    स्रोत :
    • पुस्तक : शब्दपदीयम् (पृष्ठ 87)
    • रचनाकार : बद्री नारायण
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2004

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए