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पासवर्ड

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संजीव गुप्त

अन्य

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संजीव गुप्त

पासवर्ड

संजीव गुप्त

और अधिकसंजीव गुप्त

    अब चाभियों से नहीं खोले जाएँगे

    वे ख़ास ताले

    बल्कि उनके लिए इस्तेमाल होंगे शब्द

    वे शब्द जिनका कोई अर्थ नहीं होता

    उनकी इस दुनिया में

    यह अर्थहीन शब्द ही

    अब सबसे ज़्यादा शक्तिशाली होंगे

    सबसे बड़ी चिंता होगी

    ख़ुद को सुरक्षित रखने से ज़्यादा

    अपने पासवर्ड को सुरक्षित रखना

    कोई क्रैक कर ले

    इस उधेड़बुन में

    वे बदलते रहेंगे लगातार अपने पासवर्ड

    एकबारगी पासवर्ड के खो जाने पर

    खो जाएगी उनकी दुनिया

    बल्कि उनका जिस्म ही

    टटोल कर देखेंगे

    कि पैर कहाँ हैं

    कहाँ हैं हाथ

    और आँखें कहाँ है

    वे इस दुनिया मे हैं भी या नहीं

    इसके बारे में बता सकेगा केवल

    इंटरनेट में उनका फेसबुक पेज, ई-मेल एड्रेस या ब्लॉग

    फिर भी किसे होगी परवाह

    अनगिनत होंगे ये सब

    लेकिन उनको उनकी दुनिया से

    जोड़ने वाली वस्तु

    पासवर्ड ही होगी

    वे कहीं नहीं होंगे पासवर्ड के बिना

    स्रोत :
    • रचनाकार : संजीव गुप्त
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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