निर्जन किनारे पर

nirjan kinare par

वसंत आबाजी डहाके

वसंत आबाजी डहाके

निर्जन किनारे पर

वसंत आबाजी डहाके

पीछे बिल्कुल पीठ के पीछे मर्त्यों का महानगर

सामने बिल्कुल कानों के पास मन के पास बजता हुआ समुद्र

एक समुद्र ही है पहचान वाला आदमी इस अजनबी शहर में मेरे लिए

जो बज रहा है तुम्हारे भीतर से मेरे भीतर, जैसे हमारा सुना हुआ जैज़

आन्यन्तिक अकेली शाम को

यह समुद्र-भीतर से आई हुई शाम

जैसे समुद्र के हाथों में गिटार है और उसके भीतर से

फैलता जा रहा है समुद्र का गीत

किनारे पर अपनी पुरानी ज़िंदगी के काग़ज़, मुरझाए हुए फूल, सूखे पत्ते

तेज़ी से तैरता जा रहा है, श्वेन झाग पर तुम्हारा-मेरा

तुम्हारा-मेरा बात करना, नहीं करना, एक-दूसरे में देखना

अभी-अभी कुछ क्षण पहले तुम्हारे पैर भीगी रेत पर

चलते हुए गुज़र गए मेरे किनारे तक

मैं तुम्हारे मन के भीतर बजता हुआ समुद्र

एक तुम ही हो पहचान वाली, इस निर्जन किनारे पर।

स्रोत :
  • पुस्तक : साठोत्तर मराठी कविताएँ (पृष्ठ 81)
  • संपादक : चंद्रकांत पाटील
  • रचनाकार : वसंत आबाजी डहाके
  • प्रकाशन : साहित्य भंडार
  • संस्करण : 2014
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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