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नींद की गोलियाँ

neend ki goliyan

गुंजन उपाध्याय पाठक

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गुंजन उपाध्याय पाठक

नींद की गोलियाँ

गुंजन उपाध्याय पाठक

और अधिकगुंजन उपाध्याय पाठक

    छूटते हुए

    कुछ और गहरे उतरते रहे हम

    बिन कहे अबोले में

    संगीत थी या थी सजीव नटराज की भाव भंगिमा

    इस देह की बढ़ती परिधि में

    बढ़ते हुए माँस

    और कुछ और भसकती हुई देह के प्रति आकर्षण

    तुम्हारी प्रतीक्षा

    तुम्हारी ज़िद में

    अब जब विगलांग था कौतूहल और

    प्रेम पर था चैतंयता का बोझ

    तुमसे मोहब्बत तो थी

    मगर छूटते हुए

    बरसती आँखों और काँपती देह का

    कोई तर्क भी नहीं था मेरे पास

    हाँ, एक चाँद गवाह बना

    जो ख़ुद ही एनीमिया का शिकार था

    अब मैं और चाँद

    आधी रात सुलगाते है दिन भर की थकन

    अँधेरे अपनी व्यग्रता से डराने की कोशिश में

    कुछ और होते जाते हैं वीभत्स

    बिस्तर पर पड़ी नींद की गोलियों को

    जाने कौन से ख़्वाब का इंतज़ार है

    स्रोत :
    • रचनाकार : गुंजन उपाध्याय पाठक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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