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नींद

neend

हिमांक

अन्य

अन्य

हिमांक

नींद

हिमांक

और अधिकहिमांक

    हर कोई अपने हिस्से की

    बची हुई नींद

    पूरी करने में लगा हुआ है

    कोई दुनिया के शोर से विपरीत

    सुखद सपनों की तलाश में

    तो कोई लंबी थकावट के बाद

    सूकून भरी सुबह के इंतज़ार में

    नींद ने कभी किसी को

    अपने पास आने से मना नहीं किया

    शायद इसलिए, वो सबकी क़रीबी है

    जब वो आती हैं

    तो हर कोई उसे ख़ामोशी के साथ

    अपना लेता है।

    नींद, हमारी अधूरी ख़्वाहिशों को

    सपनों में जगह देकर

    पूरा करने की कोशिश करती हैं

    इसलिए, दुनिया के सबसे

    अकेले आदमी के हिस्से तक

    होती है नींद

    वो भेदभाव तक नहीं कर पाती

    वो नहीं देखती जात-पात

    वो नहीं देखती तुम्हारी नस्ल और मज़हब

    वो नहीं झाँकती तुम्हारे बदन पर

    अपनाने से पहले

    नींद सबके हिस्से आती है

    आकाश में उड़ते आज़ाद पक्षी से लेकर

    कारागाह में क़ैद, क़ैदी तक के

    सोचता हूँ

    दुनिया को नींद की तरह होना चाहिए

    सबको अपनाने वाली और

    मुफ़्त में सपने दिखाने वाली...

    स्रोत :
    • रचनाकार : हिमांक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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