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नए साल के बधाई संदेश

nae saal ke badhai sandesh

मनोज शर्मा

अन्य

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मनोज शर्मा

नए साल के बधाई संदेश

मनोज शर्मा

और अधिकमनोज शर्मा

    मंगलकामनाएँ

    इस वर्ष

    जिस किसी ने भी फेफड़ों में

    हवा का अहसास अनुभव किया

    ये मंगलकामनाएँ, उनके लिए हैं

    शुभ हो

    नववर्ष की यह शुभ इच्छाएँ उनके लिए हैं

    जिनकी प्रार्थनाएँ जीवित हैं अभी

    जो रूह के अंतिम सत्य

    सिद्ध किए जा चुकने के बावजूद

    माहौल में

    साँस लेना भूले नहीं हैं

    हौसला हो

    नया साल विश्वास दे उन्हें

    दुआ में हाथ बाँधता हूँ

    जिनके लिए वर्ष ताज्जुब भरा रहा

    प्रभु

    उन्हें सद्बुद्धि दे—

    जो वर्ष भर ताज्जुब तलाशते रहे

    नव वर्ष में

    उन नन्हे शीशु पाँवों को बधाई

    जिनको कि इस साल जूते नसीब हो सके

    और जिनके पैर नंगे रह गए इस साल भी

    उनको आने वाले वर्षों के लिए शुभकामनाएँ

    उन लोगों को कोटिश: बधाई

    जो अपने सगे-संबंधियों के जन्मदिन मना सके

    जो शादियों में शरीक हो सके

    जिनके नौनिहाल जुलूस-जुलूस खेलने से बचे रहे

    जिनके भोजन के वक़्त दूरदर्शन पर

    किसी हादसे का कोई समाचार नहीं आया

    और वर्ष के इन पलों में जो

    जी रहे हैं ज़रा-सा भी भय

    वे लाज़िमी तौर पर उन्हें बधाई दे दें

    जो बक़ौल राजेश जोशी मारे नहीं गए

    वर्ष भर

    समय है मित्र कि किसी घटक के

    आख़िरी हिस्से में बैठकर

    हम महज़ गुटुक सकते हैं :

    देखें

    निकल गया एक और साल

    और पता भी नहीं चला

    अभी कल ही तो बंद हुआ था कोकाकोला

    कि वापस भी गया

    भोपाल से कहीं अधिक मरे उत्तरकाशी में

    पाप भी कित्ता बढ़ गया है साहिब

    और लातूर की तरह गुजरात मीन फिर से

    एक औरत ने मलबे में जना बच्चा

    जाको राखे—पर

    आपका नाम क्या है भाई जी?

    यह दौर ही है ऐसा

    कि चौंकते भी नहीं हैं हम

    जब कुछ उतरता है तेज़ धार

    धमनियों में सरकती बर्फ़

    तिड़कती है बस

    इस अंतिम बेला में

    जब माँजा जा रहा है इतिहास

    स्थिर प्रकृति में चुपचाप चटखा है बहुत

    जैसे घास में अभी अभी खिला है भूरा फूल

    फूल खिला है कि पहले कभी नहीं खिला था

    इस तरह

    इस नववर्ष में

    इस फूल के लिए उतनी ही शुभकामनाएँ

    जितनी

    अपने बेटे के लिए चाही है मैंने

    कि बीज बनने तक

    जीवित रहे

    घास का फूल भी।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनोज शर्मा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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