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नभ की नीली डूब ही उसके देश का पथ

nabh ki nili Doob hi uske desh ka path

सुशोभित

अन्य

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सुशोभित

नभ की नीली डूब ही उसके देश का पथ

सुशोभित

और अधिकसुशोभित

    चंद्रमा की जलराशि में

    रेत का गात।

    रह-रहकर

    रोमावलियों के वन

    में हर्ष।

    एक रक्तिम-रेखा क्षितिज पर खिंचती है।

    इतना पका कि—

    गाछ पर ही गल गया

    ऐषणा का आयुफल।

    तृषा का आतप ही

    उसकी तुष्टि का जल हुआ।

    अंग (केवल) एक जनपद है

    अनंग उसका क्षेत्रपाल।

    (क्षेत्रपाल रक्षण करे या आखेट?)

    ऊष्‍मा में ऊभ-चूभ होता है

    अंग का वन-प्रांतर

    (बाँसवन का दावानल)

    वह विपथ भी हुआ तो बस—

    आषाढ़ के आर्द्रा में

    माघ का मेघ हुआ,

    जैसे धवल बलाका।

    औ' ग्रीष्‍म के गह्वर में

    नभ की नीली डूब-ही

    उसके देश का पथ।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सुशोभित
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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